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Haryana News: जगदीश सिंह झिंदा ने HSGMC चुनाव जीते, अब दिया इस्तीफा

Haryana News:  हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (HSGMC) के चुनावों में जीत के बावजूद, जगदीश सिंह झिंदा ने समिति का गठन होने से पहले ही मैदान छोड़ दिया। उन्होंने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की और बताया कि वे जल्द ही अपने इस्तीफे को जिला उपकलेक्टर के पास सौंप देंगे। इस फैसले के पीछे झिंदा ने कई महत्वपूर्ण कारण बताए हैं, जिनमें उनकी उम्मीदों के मुताबिक संगठन से समर्थन न मिल पाना शामिल है।

चुनाव में हार और उम्मीदों का टूटना

झिंदा ने अपने इस्तीफे के कारणों का खुलासा करते हुए कहा कि उनके समूह के 21 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 9 ही जीत पाए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें जनता का समर्थन जैसा वह चाहते थे, वैसा नहीं मिला। उनके अनुसार, यह समर्थन न मिलने के कारण वे खुद को इस पद के लिए योग्य नहीं मानते। झिंदा ने कहा कि अब उनके समूह के 9 विजयी सदस्य अपने फैसले खुद लेंगे।

भाजपा सरकार और बादल परिवार से प्रतिस्पर्धा में असमर्थता

झिंदा ने यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद एक अलग समिति बनाई थी, लेकिन अब वह मौजूदा भाजपा सरकार और बादल परिवार से मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों में कई स्वतंत्र उम्मीदवार उनकी मदद करने के लिए तैयार थे और उन्हें लगातार कॉल्स मिल रही थीं, लेकिन वे खुद को इस बड़े और गहरे संघर्ष के लिए अक्षम महसूस कर रहे थे। उनका मानना है कि वर्तमान राजनीतिक हालात उनके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हैं।

किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने की घोषणा

झिंदा ने अपने इस्तीफे के बाद आगे कहा कि अब वे किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। वे किसान नेता जगजीत सिंह धाधरीवाल के साथ मिलकर किसानों के हित में काम करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद हरियाणा सिख गुरुद्वारा कमीशन को जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से इस्तीफा भेज देंगे। झिंदा का यह कदम किसानों के मुद्दों को उठाने और उनका समर्थन करने के लिए है।

Haryana News: जगदीश सिंह झिंदा ने HSGMC चुनाव जीते, अब दिया इस्तीफा

समाज और राजनीति में झिंदा की भूमिका

झिंदा के इस इस्तीफे के बाद उनकी राजनीति और समाज में भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना था कि वे लंबे समय से सिखों के अधिकारों की आवाज बनकर उभरे थे और उनके संघर्षों ने उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया था। लेकिन अब, उनके इस फैसले से उनकी राजनीतिक यात्रा में एक मोड़ आया है।

झिंदा का यह कदम ऐसे समय में आया है जब हरियाणा में सिख समुदाय की राजनीति महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उनकी नेतृत्व क्षमता और संघर्ष ने उन्हें सिख समुदाय में एक महत्वपूर्ण पहचान दिलाई थी, लेकिन अब उनका यह निर्णय राजनीति में उनके भविष्य को लेकर कुछ सवाल खड़े करता है।

झिंदा के इस्तीफे से HSGMC पर असर

झिंदा के इस्तीफे का असर हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (HSGMC) के गठन पर पड़ेगा। उनके इस्तीफे के बाद, यह स्पष्ट नहीं है कि उनके द्वारा तैयार की गई समिति का भविष्य क्या होगा। हालांकि, झिंदा ने यह संकेत दिया है कि अब उनके समूह के 9 विजयी सदस्य अपने फैसले खुद लेंगे, जिससे समिति के गठन में बदलाव हो सकता है।

इस घटनाक्रम ने HSGMC के चुनावों और इसके आगामी कार्यों को लेकर नई चुनौतियां उत्पन्न कर दी हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि झिंदा के इस्तीफे के बाद उनकी टीम किस दिशा में आगे बढ़ेगी और क्या नए नेतृत्व के साथ समिति की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव होगा।

किसान आंदोलन की दिशा में झिंदा का योगदान

झिंदा का यह कदम राजनीतिक संघर्षों से हटकर अब किसानों के मुद्दे पर फोकस करने का है। उनकी यह पहल निश्चित रूप से किसानों के अधिकारों और उनकी समस्याओं को उभारने में मददगार साबित हो सकती है। झिंदा के किसान आंदोलन में शामिल होने से यह संभावना जताई जा रही है कि वे कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर और भी बड़ी आवाज उठाएंगे।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के चुनावों में जीत के बाद, झिंदा का इस्तीफा राजनीति और समाज में एक नई चर्चा का विषय बन गया है। उनका यह निर्णय कई सवालों को जन्म देता है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट करता है कि झिंदा अब अपनी राजनीति से किसानों के हित में संघर्ष करने का निर्णय ले चुके हैं। उनका इस्तीफा और किसान आंदोलन में सक्रिय भागीदारी एक नई दिशा को दर्शाता है, जो उनके समर्थकों और हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की संभावना को पैदा करता है।

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